कब्ज के इन घरेलू इलाज को आजमाया है आपने?
डॉक्टर हरिकृष्ण बाखरू
कब्ज पाचन तंत्र की एक आम गड़बड़ी है जिससे देश की बड़ी आबादी पीड़ित है। बॉलीवुड वालों ने तो इस बीमारी को टार्गेट कर पीकू नामक फिल्म ही बना दी जिसमें खुद महानायक अमिताभ बच्चन ने कब्ज पीड़ित का रोल किया था। फिल्म की बात जानें दें। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो कब्ज आंतों की समस्या है जिसमें खासकर बड़ी आंत नियमित रूप से अपना काम नहीं करती है और कभी करती भी है तो पूरी तरह साफ नहीं हो पाती।
समस्याएं
कब्ज ऐसी समस्या है जो अपने साथ और भी कई बीमारियों को समेट लाती है। अपेंडिसाइटिस, गठियावात, हाई ब्लड प्रेशर, मोतियाबिंद जैसी बीमारियों की पृष्ठभूमि में कई बार कब्ज को जिम्मेदार पाया गया है। लंबे समय तक किसी को ये समस्या रहे तो शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति भी घट जाती है।
लक्षण
कब्ज का सबसे आम लक्षण मल त्याग में परेशानी और मल का सख्त होना है। सख्त होने के कारण मल त्याग कभी भी समय पर और आसानी से नहीं होता। हालांकि इसके दूसरे लक्षण भी हैं जैसे कि जीभ पर सफेद परत जमा हो जाना, मुंह से बदबू आने लगना, भूख न लगना, सिरदर्द, चक्कर, आंखों के आसपास गहरे काले घेरे, मानसिक अवसाद, जी मितलाना, चेहरे पर मुहांसे आना, मुंह में छाले पड़ना, पेट लगातार भरा लगना, बारी-बारी से कब्ज और दस्त होना, वेरिकोज वेन्स की समस्या हो जाना, कमर के निचले हिस्से में दर्द रहना, एसिडिटी, गले और सीने के ऊपरी हिस्से में जलन, नींद न आना आदि-आदि।
कारण
कब्ज के महत्वपूर्ण कारणों में भोजन संबंधी गलत आदतें और दोषपूर्ण जीवनशैली मुख्य रूप से शामिल हैं। दरअसल हमारी आंतों को सही तरीके से काम करने के लिए हमारे भोजन में प्राकृतिक अवशिष्ट या अनुपयोगी प्राकृतिक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में बचना जरूरी है। जबकि हमारे खान पान में रिफाइंड चीजों ने तेजी से अपना स्थान बना लिया है जो स्वाद में तो अच्छी होती हैं मगर आंतों के लिए अच्छी नहीं होती। हमारे भोजन को अगर देखें तो अधिकांश में फाइबर यानी रेशे की गंभीर कमी है। बड़ी कंपनियों का आटा, मैदा, पॉलिश किया चावल ही घरों में मुख्य आहार हो गया है। पहले के समय में घर के पास के मिल में गेहूं पिसाया जाता था जिसमें चोकर और भूसी के रूप में रेशा बचा रहता था जो आंतों के लिए बहुत अच्छा होता था। इसके अलावा आजकल घी, तेल से भरपूर भोजन भी लोग खूब करते हैं। चाय या कॉफी का सेवन दिन में कई बार किया जाता है जबकि पानी कम पीते हैं। खाने-पीने में कोई अनुशासन नहीं रह गया है। ये सब बातें मिलकर आंतों को सही तरीके से काम नहीं करने देतीं।
घरेलू उपचार
- जैसा कि कारण से स्पष्ट है, कब्ज के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण बात भोजन को दुरुस्त करना ही है। इसके लिए सबसे पहले तो भोजन में छिलका सहित अनाज, शहद, शीरा, मूंग, मसूर, हरी और पत्तेदार सब्जियां, खासकर पालक, फ्रासबीन, टमाटर, सलाद के पत्ते, प्याज, पत्तागोभी, फूलगोभी, शलगम, कद्दू, मटर, चुकंदर, गाजर, ताजे फल-विशेष रूप से नाशपाती, अंगूर, अंजीर, पपीता, आम, अमरूद और संतरा, किशमिश, अखरोट, खजूर जैसे सूखे मेवे और घी, मक्खन, क्रीम जैसे दूध से बने पदार्थ शामिल करें।
- भोजन को चबाना सीखें। बचपन में सिखाया जाता है कि भोजन को खूब अच्छे से चबाकर खाएं। इस सलाह पर सख्ती से अमल का समय अब है।
- चीनी और चीनी से बनी चीजों से परहेज की करें। चीनी से परहेज केवल मधुमेह के कारण नहीं बल्कि इसलिए भी जरूरी है क्योंकि चीनी से बनी चीजें शरीर में विटामिन्स की कमी कर देती हैं। ये विटामिन्स आंतों के सही तरीके से काम करने के लिए जरूरी हैं।
- मैदा से बने स्वादिस्ट कुकीज जीभ को तो पसंद आते हैं मगर आंतों को नहीं भाते। इसलिए केक, पेस्ट्रीज, बिस्कुट आदि से दूर ही रहें।
- बहुत अधिक पनीर, मांसाहार, उबले हुए अंडों की ज्यादा संख्या भी कब्ज को बढ़ाने में मददगार होते हैं इसलिए इन चीजों का नियमित रूप से सेवन न करें। कभी-कभी खाने में कोई परेशानी नहीं है।
- पानी हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। सिर्फ कब्ज से छुटकारा पाने के लिए ही नहीं बल्कि शरीर के विषैले तत्वों को दूर करने के लिए भी जरूरी है कि दिन में छह से आठ ग्लास तक पानी पीएं।
- पानी को कभी भी भोजन के साथ न पीएं। या तो खाना खाने से आधा घंटा पहले या फिर खाना खाने के एक घंटा बाद पानी पीना चाहिए। दरअसल खाना खाने के बाद पाचक रस यानी एंजाइम्स सक्रिय होते हैं जो भोजन को सही तरीके से पचाते हैं। अगर खाने के साथ पानी पीते हैं तो ये पानी पाचक रसों में मिलकर उसे पतला कर देता है और भोजन पचने में परेशानी होती है।
- कब्ज के इलाज में फलों की अहम भूमिका है। केला और कटहल को छोड़कर अन्य सभी फल कब्ज के उपचार में सहायता करते हैं। खासकर नाशपाती और अमरूद को कब्ज निवारक फल माना गया है। अगर किसी को पुराना कब्ज है तो कुछ दिन केवल नाशपाती और अमरूद खाकर ही गुजारा करना चाहिए। इसी प्रकार अंगूर के मौसम में उसका सेवन भी कर सकते हैं मगर ध्यान रखें कि मधुमेह रोगी इसका ज्यादा सेवन नहीं कर सकते हैं।
- सोने से पहले शरीर को कूल्हों तक बारी-बारी से गर्म और ठंडे पानी में डुबोकर किया गया स्नान भी कब्ज से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा रोजाना ताजी हवा का सेवन, घर से दूर मैदान में खेल-कूद, सैर, तैरना, बागवानी और कुछ दूसरे व्यायाम शरीर की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं जिससे कब्ज से निपटने में सहायता मिलती है।
कुछ खास सलाह
अगर किसी को लगातार कब्ज की शिकायत है तो उसे कुछ दिन उपवास करना चाहिए। इससे आंतों में फंसा रोगकारी भोजन बाहर निकल जाएगा, शरीर की विषाक्तता दूर होगी और रक्त प्रवाह सही हो जाएगा। हालांकि अगर उपवास में शरीर कमजोर लगे तो संतरे का जूस ले सकते हैं। साथ में फलाहार भी कर सकते हैं।
चार पांच दिन तक फलाहार या उपवास के बाद धीरे-धीरे संतुलित आहार की ओर बढ़ना चाहिए। भोजन वैसा ही हो जिसके बारे में हम इस आलेख के शुरू में बता चुके हैं।
इस इलाज को हर दो से तीन महीने में दोहराने से कब्ज की शिकायत पूरी तरह दूर हो सकती है। उपचार के आरंभ में गर्म पानी का एनीमा भी दे सकते हैं जिससे आंतों की अच्छी तरह सफाई हो जाती है।
(डॉक्टर हरिकृष्ण बाखरू की किताब रोगों का प्राकृतिक उपचार से साभार। आलेख को समसामयिक बनाने के लिए कुछ संपादन किया गया है। किताब hindibooks.org से मंगाई जा सकती है।)
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